उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज यानी मंगलवार को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में होली का त्योहार मनाया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में भव्य’फूलों की होली’ मनाई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘पिछले कई दिनों से पूरे देश के सनातन धर्म के अनुयायी होली के त्योहार के द्वारा अपनी तकरीबन 1000 साल की विरासत को खुशी और उत्साह की नई ऊंचाई पर ले जाकर इस त्योहार में भाग बन रहे हैं।
वे अपनी विरासत के प्रति भरपूर आनंद व्यक्त करते हैं। इस शानदार मौके पर हम इस शोभा यात्रा के जरिए समाज के हर प्रकार के लोगों को अपनी खुशी में शामिल कर के समृद्ध समाज को बनाने का संदेश देते हैं।
बता दे, साफ-सुथरे तरीके से होली का त्योहार मनवाने के लिए साल 1944 में नानाजी ने कुछ युवकों को इकट्ठा किया और बदलाव की योजना बनाई। शोभायात्रा के लिए हाथी की व्यवस्था को गई, महावत को बताया गया कि जहां काला या हरा रंग का ड्रम दिखे, उसे हाथी को इशारा कर गिरवा दें और ऐसा ही 2-3 साल तक किया गया।
धीरे-धीरे भगवान नृसिंह की रंग बिरंगी शोभायात्रा में सिर्फ रंग रह गए थे और उसमें भी काला व हरा नहीं था। धीरे-धीरे इसका भारी असर पूरे शहर में दिखने लगा। साफ-सुथरी होली के लिए नानाजी की कोशिश रंग लाई और यात्रा सफ़ल हो गई, लेकिन उसे भव्य स्वरूप देना अब भी संभव नहीं हो पा रहा था। तब इस समय नानाजी ने एक नाथ पीठ के पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ से बात किया और अपनी योजना बताई। दिग्विजयनाथ ने उनके इस योजना में शामिल होने के लिए आमंत्रण को स्वीकार किया और यह जिम्मेदारी अपने उत्तराधिकारी अवेद्यनाथ को सौंप दी।
गुरु के आदेश पर अवेद्यनाथ ने साल 1950 से शोभायात्रा का नेतृत्व करने लगे। धीरे-धीरे संघ की यह शोभायात्रा नाथ पीठ से अनिवार्य रूप से जुड़ गई। योगी आदित्यनाथ को जब महंत अवेद्यनाथ ने जब अपना उत्तराधिकारी बनाया तो इस यात्रा की भव्यता को कायम रखने की जिम्मेदारी भी उन्हें ही सौंप दी।
साल 1998 से योगी आदित्यनाथ यात्रा का नेतृत्व करने लगे तो उनके खुशनुमा स्वभाव के कारण शोभायात्रा ने एक बड़ा स्वरूप ले लिया और इसमें शहर के सभी प्रमुख बड़े लोग हिस्सा लेने लगे। बता दे, योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये शोभायात्रा देश-विदेश में मशहूर हो चुकी है। मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी हर साल योगी नृसिंह यात्रा की शुरुवात करने खुद के मौजूदगी में करते हैं।