हाथरस भगदड़ में 121 लोगों की मौत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। हालांकि शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया। वहीं CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह एक दुःखद घटना है,लेकिन इस मामले पर शीर्ष अदालत विचार नहीं कर सकती है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे उच्च न्यायालय जाएं। उच्च न्यायालय इस मामले पर सुनवाई करने में सक्षम है।
वहीं, वकील विशाल तिवारी ने याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार से अधिकारियों, कर्मचारियों व अन्य के खिलाफ उनकी लापरवाही के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने की भी मांग की थी।
क्यों नहीं कण्ट्रोल हो पाई भीड़?
हाथरस में 2 जुलाई, मंगलवार को साकार विश्वहरि बाबा उर्फ भोले बाबा का सत्संग शुरू हुआ। सत्संग में 80 हजार लोगों की मंजूरी के बाद करीब 2.50 लाख से अधिक लोग आ गए। सत्संग खत्म होने की बाद ही बाबा की प्राइवेट आर्मी ने कार्यक्रम स्थल की सारी व्यवस्था को पूरी तरह से अपने कण्ट्रोल में ले लिया। लेकिन भीड़ को कण्ट्रोल करने के लिए न ही बाबा की निजी आर्मी और न ही पुलिसकर्मी पर्याप्त थे।
वहां के लोगों के मुताबिक , जब बाबा का काफिला निकला तब भीड़ को रोक दिया गया। इस दौरान चरणों की रज लेने के चक्कर में भक्त अनियंत्रित हो गए। भगदड़ के दौरान लोग मरते रहे और बाबा के गॉर्ड गाड़ियों से भागते रहे। किसी ने भी वहां रुककर हालात को जानने का प्रयास नहीं किया।
हादसे को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के कमान संभालने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई को अंजाम देना शुरू कर दिया। पुलिस ने 6 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की, जिनमें सत्संग आयोजन समिति से जुड़े 4 पुरुष और 2 महिलाएं शामिल हैं।
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