ऐसे तो बुआ भतीजे की जोड़ी जग जाहिर है लेकिन अब मायावती और अखिलेश यादव के रिश्तों में समर्थन, आभार और धन्यवाद का नया दौर शुरू हुआ है। सपा प्रमुख की BSP के वोट पर नजर है, तो बसपा सुप्रीमो भी पूरे मामले को बखूबी समझ रही हैं। हालांकि, कुछ जानकार संबंधों के इस नए दौर के पीछे उत्तर प्रदेश के आने वाले चुनाव का गणित भी मान रहे हैं। हाल ही में मांट (मथुरा) के बीजेपी विधायक राजेश चौधरी ने मायावती को उत्तर प्रदेश का सबसे अधिक भ्रष्ट मुख्यमंत्री बताया था। साथ ही कहा था कि पहली बार उन्हें सीएम बनाना बीजेपी की गलती थी। इस बयान के खिलाफ अखिलेश यादव खुलकर मायावती के साथ खड़े हुए।
मायावती ने भी इसके लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव का आभार जताया। यह सिलसिला और आगे बढ़ा, जब मंगलवार यानी कल अखिलेश यादव ने एक्स के जरिए मायावती के उस ‘आभार’ के प्रति धन्यवाद जताया। अखिलेश लिखते हैं- सच तो ये है कि ये ‘आभार’ उन लोगों का है जो पिछले दो दिनों से अपने मान-सम्मान की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरकर अपना सक्रिय विरोध दर्शा रहे हैं।
इस विरोध का मुख्य कारण है, भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक द्वारा शोषित-वंचित समाज की एक सम्मानित पूर्व महिला मुख्यमंत्री का सरेआम किया गया अपमान। हालांकि, मायावती एक ओर अखिलेश यादव का आभार व्यक्त कर रहीं थीं, तो दूसरी ओर दलितों के कोटे में कोटे पर अखिलेश यादव की चुप्पी पर भी सवाल खड़ा कर रही थीं।
क्या बसपा वोटर पार्टी के प्रदर्शन से है नाराज़?
वहीं राजनीति के जानकारों का मानना है कि बसपा का आधार वोटर पिछले लोकसभा और उससे पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से बहुत नाराज़ है। समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कि ये वोटर उसकी ओर आ सकते हैं। भले ही लोकसभा चुनाव में बसपा ने कोई सीट न जीती हो, पर उत्तर प्रदेश में उसे 9 प्रतिशत से ज्यादा मत मिले थे।
सपा नेतृत्व अच्छी तरह से जानता है कि मायावती को सम्मान देने पर ही यह आधार वोट उन्हें मिल सकता है। बशर्ते बसपा से हमदर्दी रखने वाले मतदाताओं को यह महसूस हो कि उनकी पार्टी का प्रत्याशी जिताऊ स्थिति में नहीं है। यही वजह है कि एक खास रणनीति के तहत अखिलेश यादव, मायावती के समर्थन में पोस्ट कर रहे हैं। उपचुनाव में इसका लिटमस टेस्ट भी हो जाएगा।
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