मायावती और अखिलेश यादव के बीच चले आभार और धन्यवाद के दौर ने प्रदेश के सियासी महकमों में नई अटकलों को परवान चढ़ा दिया है। इसे सपा-बसपा के बीच टकराव कम होना ही नहीं, बल्कि प्रदेश में बनने वाले नए सियासी समीकरणों के तौर पर भी देखा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि दोनों दलों के बीच ये नरमी बेवजह नहीं है। दोनों दलों के बीच पनप रही ये मोहब्बत आने वाले समय में बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बन सकती है।
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक भी दो धुर-विरोधी दलों के बीच शुरू हुए संवाद को प्रदेश की सियासत में नए समीकरण के तौर पर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक के बयान पर सपा मुखिया अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया और फिर बसपा सुप्रीमो मायावती का उस पर आभार जताना शिष्टाचार भर नहीं है। सवाल उठ रहा है कि क्या फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति नया मोड़ लेने वाली है ?
मायावती ने कांग्रेस-सपा के साथ गठबंधन से मना तो किया है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि राजनीति में कुछ भी संभव है। तो वहीं प्रदेश के सियासी हालात को देखते हुए ये भी अनुमान लगाया जा रहा कि उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन का विस्तार होने जा रहा है।
सपा-बसपा में कैसे शुरू हुआ संवाद
बता दें मथुरा की मांट सीट से बीजेपी के विधायक और पार्टी प्रवक्ता राजेश चौधरी ने बसपा सुप्रीमो के खिलाफ बयान दिया। इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादब ने आपत्ति जताई। फिर मायावती ने उनको धन्यवाद किया। इसके बाद अखिलेश ने आभार जताया। यही नहीं, मायावती ने अखिलेश के बयान को अपने ईमानदार होने का प्रमाण बताते हुए बीजेपी विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
बीजेपी हर कदम-हर बयान पर है सतर्क
आपको बता दें ,सपा-बसपा के बीच शुरू हुए संवाद को लेकर बीजेपी भी सतर्क है। पार्टी के रणनीतिकार दोनों दलों की हर गतिविधि पर नजर रखे हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा-बसपा के साथ आने की संभावना बेशक ना के बराबर है, लेकिन बीजेपी में उनके हर कदम और बयान पर नजर रख रही है।
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