लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस नेता राहुल गांधी आम चुनाव से लेकर अब तक पार्टी के लिए देशभर में लगातार जमीन तैयार कर रहे हैं। राहुल गांधी को कभी रायबरेली में मरीजों से मिलते हुए दिखाई दे रहे हैं.तो कभी हाथरस तो कभी मणिपुर जा रहे हैं। रायबरेली वही सीट है, जिसे राहुल ने जीती हुई वायनाड सीट को छोड़कर चुना है। राहुल गांधी रायबरेली का दो बार दौरा कर चुके है. लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक राहुल गांधी का यूपी में तीसरा दौरा रहा है।
बीजेपी को घेरने की तैयारी में कांग्रेस
लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत मिलने के बाद से अब लगता है कि यूपी में कांग्रेस को दोबारा जिंदा करने की जिम्मेदारी राहुल गांधी ने उठा ली है.पहले यूपी की जिम्मेदारी प्रियंका के कंधों पर थी, लेकिन अब उन्हें वायनाड से चुनाव लड़ने का जिम्मा सौंपा गया है। मतलब एक पास है उत्तर तो दूसरे के पास है दक्षिण। इन दोनो भाई -बहनों की जोड़ी ने भारतीय जनता पार्टी की मुश्किल बढ़ा दी है, क्योंकि होने वाले उपचुनाव में अगर प्रियंका वायनाड से चुनाव जीतती हैं तो ये भाई- बहन संसद से लेकर सड़क तक बीजेपी को घेरने वाले है। आइए जानते हैं कि अब कांग्रेस का क्या प्लान है.
उपचुनाव में होगा राहुल की असली अग्निपरीक्षा
राहुल गांधी की असली अग्निपरीक्षा उत्तर प्रदेश में होने वाले 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव हैं। इससे ये पता चलने वाला है कि राहुल के रायबरेली से सांसद बनने के बाद से पार्टी यूपी में कितनी मजबूत हुई है। हालांकि, कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने का काम प्रियंका गांधी ने किया है। बता दें कि प्रियंका गांधी ने रायबरेली में नौ दिन और अमेठी में सात दिन चुनाव प्रचार किया था।
कांग्रेस की तिकड़ी बढ़ाएगी बीजेपी की टेंशन
प्रियंका गांधी पहली बार चुनावी मैदान में उतरने वाली हैं। कांग्रेस को 15 साल बाद पहली बार लगा है कि यूपी में उसकी स्थिति सुधर सकती है। वायनाड से अगर प्रियंका को जीत मिलती है तो फिर लोकसभा में उत्तर और दक्षिण के राज्यों से गांधी परिवार के सदस्य देखने को मिलेंगे। बता दे कि 17 जून को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया था कि रायबरेली सीट राहुल गांधी अपने पास रखने वाले हैं, जबकि वायनाड से प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में होंगी. वायनाड चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि क्या ये जोड़ी कमाल करेगी या नहीं.
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