बीते दिनों सियाचीन में शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह के परिवार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह का आरोप है कि देश की रक्षा में बेटा शहीद हो गया। बहू ने भी साथ छोड़ दिया। सरकार ने जो सहायता की, वह बहू को मिली,हमारी आंखें आंसुओं से भरी हैं और हाथ खाली हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को सम्मान के नियमों में परिवर्तन करना चाहिए। ताकि शहीद की पत्नी के साथ-साथ माता-पिता का भी ध्यान रखा जा सके।
क्यों नहीं छूने दिया कीर्ति चक्र ?
दरअसल शहीद कैप्टन के पिता का कहना है कि स्मृति ने सास मंजू के अलावा किसी को भी कीर्ति चक्र छूने नही दिया। इस दौरान परिजनों से बातचीत नहीं की। वह अपने पिता राजेश सैनी के साथ पंजाब के पठानकोट वापस चली गई। हम लोगों के मोबाइल नंबर तक ब्लॉक कर दिया। सारे पेपरों पर देवरिया का पता हटाकर पठानकोट का पता डलवा लिया। ऐसे में शहीद के माता-पिता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। सम्मान के नियमों में परिवर्तन किया जाए।
बुद्धेश्वर चौराहे पर होगी शहीद की प्रतिमा स्थापित
बता दें नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने शहीद के माता -पिता से बात कर उन्हें हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया। शहीद के पिता ने मोहान रोड़ पर स्थित बुद्धेश्वर चौराहे पर शहीद बेटे की प्रतिमा स्थापित करने की बात कही, जिस पर नगर आयुक्त ने जल्द ही ऐसा करने का आश्वासन दिया। वहीं शहीद के परिजनों ने कीर्ति चक्र के साथ इसका उद्घाटन किए जाने की मांग की है।
सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हुए थे अंशुमान सिंह
आपको बता दें कि कैप्टन अंशुमान सिंह मूलरूप से देवरिया के रहने वाले थे। लखनऊ में बुद्घेश्वर चौराहे के पास उनका आवास है। कैप्टन अंशुमान सिंह 19 जुलाई, 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हो गए थे। वहां भारतीय सेना के टेंट में आग लग गई थी, जिसमें कई जवान फंस गए थे। उनकी जान बचाने के दौरान वह शहीद हो गए।
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