Saturday, July 27, 2024
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होली 2024: इस साल कब मनाई जाएगी होली? यहाँ जानें, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

रंगो का त्योहार होली हिंदू धर्म का सबसे पसंदीदा पर्व है। बसंत का महीना आते ही इस त्योहार इंतजार शुरू हो जाता है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन धूमधाम से होली मनाई जाती है। हिंदू धर्म में बतया गया है कि होलिका दहन का उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत माना गया है। हिन्दू धर्म में होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है। यह पूरे भारतवर्ष बहुत ही जश्न और उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली का त्योहार सभी में भाईचारे, प्रेम विस्तार करने का त्योहार है। इस त्योहार से कुछ पहले से ही घरों में गुझिया और कई तरह के पकवान बनते हैं। सभी एक दूसरे के घर जाकर प्यार से गुलाल लगाकर गले मिलते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं। ऐसे में आपको बताते हैं कि इस साल 2024 में होली किस दिन मनाई जानी है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है…

पूर्णिमा का दिन और समय ?
जानकारी के मुताबिक आपको बता दे, इस साल फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले ही दिन होली मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि 24 मार्च को सुबह 9:54 मिनट से आरम्भ होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12:29 मिनट पर होगा।

होलिका दहन का समय ?
इस साल 24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11:13 मिनट से 12:27 मिनट तक होगा। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको लगभग 1 घंटे 14 मिनट का पूरा वक्त मिलेगा।

कब है होली ?
आपको बता दे, इस साल 2024 होलिका दहन के अगले दिन रंगों का त्योहार होली मनाई जाती है, इसलिए इस साल 25 मार्च को होली है। इस दिन देशभर में होली मनाई जाएगी।

जानें, होलिका दहन पूजा की विधि
होलिका दहन की पूजा करने के लिए आपको प्रथम स्नान करना आवश्यक है। इसके बाद होलिका की पूजा वाले जगह पर उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएं। पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा अवश्य बनाएं। वहीं पूजा की सभी सामग्री में सबसे पहले रोली, कुछ फूल, फूलों की माला, गुड़, गुलाल नारियल, कच्चा सूत, हल्दी,.कुछ मूंग, थोड़े से बताशे, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी अवश्य रख लें। इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करें। आपको बता दे, होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर 7 बार परिक्रमा अवश्य करें।

 

 

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