बिहार में पुलों के गिरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को सीवान और छपरा जिलों में एक ही दिन में पांच पुलों के ध्वस्त होने से स्थिति और गंभीर हो गई है। पिछले दो वर्षों में राज्य में 12 पुलों के गिरने के बाद यह मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
एडवोकेट ब्रजेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर कर राज्य में सभी नए और पुराने पुलों के स्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग की है। उन्होंने पुलों के निर्माण की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए एक समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने की भी गुहार लगाई है।
याचिका में बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने और इसके कारण पुलों के ध्वस्त होने का जिक्र किया गया है। बाढ़ के कारण 73.6% भू-भाग प्रभावित होता है, जिससे पुलों की स्थिति और भी नाजुक हो जाती है। याचिका में बिहार सरकार, केंद्रीय सड़क परिवहन और उच्च पथ मंत्रालय, हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया, पथ निर्माण और परिवहन मंत्रालय, पुल निर्माण निगम सहित कुल 6 पक्षकार बनाए गए हैं।
आरजेडी ने उठाया सवाल
आरजेडी के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्व यादव ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “4 जुलाई को एक और पुल गिरा, जबकि 3 जुलाई को पांच पुल ध्वस्त हो गए। 18 जून से अब तक कुल 12 पुल गिर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पर खामोश हैं।” आरजेडी विधायक मुन्ना यादव ने कहा, “एक महीने में 11 पुल गिर चुके हैं। करोड़ों की लागत से बने पुल ध्वस्त हो रहे हैं और सरकार कोई तैयारी नहीं कर रही है।”
बिहार में पुलों के लगातार गिरने से राज्य के विकास और लोगों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में याचिका के बाद उम्मीद है कि इस मामले में उचित कार्रवाई होगी और पुलों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी।
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